maandag 4 oktober 2010

अयोध्या पर सुलह


अयोध्या। अयोध्या के श्री राम जन्म भूमि परिसर के मालिकाना हक के बारे में इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद हिन्दू और मुस्लिम धर्म गुरू मसले के हल के लिये राजी हो गये हैं और दोनों के बीच बातचीत पन्द्रह दिन में हनुमानगढ़ी परिसर में होगी। हालांकि मुकदमें के एक अन्य पक्षकार निर्मोही अखाड़ा ने ऐसी किसी बातचीत को बेमतलब बताया है और कहा है कि वह न तो बातचीत में शामिल होगी और न इसके निर्णय को मानेगी। मालिकाना हक के बारे में मुस्लिम पक्षकार हाशिम अंसारी ने कहा कि 15 दिन के अंदर हिंदू और मुस्लिम धर्म गुरूओं की बैठक हनुमानगढ़ी परिसर में होगी जिसमें मसले के हल का प्रयास किया जायेगा। समझौते की पहल अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की अध्यक्षता में होगी। उन्होंनें कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने उन्हें सुलह और समझौते की जिम्मेदारी सौंपी है। अंसारी ने कहा कि यदि बातचीत से मसले का हल नहीं निकला तो पर्सनल लॉ बोर्ड तय करेगा कि सुप्रीम कोर्ट जाना है या नहीं। उन्होंनें कहा कि मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की आवश्यक बैठक 9 अक्तूबर को लखनऊ में और 16 अक्तूबर को नयी दिल्ली में होगी जिसमें रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद मसले पर अहम फैसला लिया जायेगा। उन्होंनें कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ज्ञानदास के साथ उनकी कल मुलाकात हुई और मसले के हल के बारे में बातचीत भी हुई। वह बीमार चल रहे ज्ञानदास को देखने गये थे। दूसरी ओर मुकदमें के एक अन्य पक्षकार निर्मोही अखाड़ा ने ज्ञानदास और हाशिम अंसारी के बीच हुई बातचीत को बेमतलब बताया है। उन्होंनें कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद मुकदमें में न तो पक्षकार है और न उसका मालिकाना हक बनता है। निर्मोही अखाड़ा के अध्यक्ष भास्कर दास ने आज कहा कि हाई कोर्ट का 30 सितम्बर को जो फैसला आया है उससे वह पूरी तरह संतुष्ट नही हैं। भास्कर दास ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा का दावा उस भू-भाग पर था जहां रामलला विराजमान हैं। हाई कोर्ट ने राम चबूतरा, सीता रसोई और भंडार गृह दिया है जबकि यह तीनों पहले से ही निर्मोही अखाड़ा के पास थे। उन्होंनें कहा कि निर्मोही अखाड़ा को रामलला की पूजा का भी अधिकार मिलना चाहिये क्योंकि 29 दिसम्बर 1949 को जब सिटी मजिस्ट्रेट ने धारा 145 के तहत पूजा पर रोक लगायी थी तब रामलला की पूजा निर्मोही अखाड़ा ही कर रहा था। उन्होंनें कहा कि अदालत के फैसले से वह कुछ संतुष्ट इसलिये हैं क्योंकि रामलला के जन्मस्थान को लेकर हाई कोर्ट की मुहर लग गयी है। मुकदमें के एक अन्य पक्षकार हिन्दू महासभा ने भी बातचीत का विरोध किया है और कहा है कि रामलला की जमीन का 3 हिस्से में बंटवारा स्वीकार नहीं है।

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