woensdag 6 oktober 2010

हाशिम अंसारी को जान का खतरा

Update : Wednesday, October 06, 2010 12:56 PM
हाशिम अंसारी को जान का खतरा


Storyअयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर दावेदारी करने वाले एक पक्ष के प्रमुख पैरोकार हाशिम अंसारी ने अपनी जान पर खतरा बताते हुए आरोप लगाया है कि इस मुद्दे को राजनीति का अखाड़ा बनाने वाले लोग उनको रास्ते से हटाने की तरकीबें कर रहे है। अंसारी ने कहा कि जब उन्होंने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञानदास से भाईचारे का कदम आगे बढ़ाया तो लोगों को बड़ी परेशानी हुई, कि हमारी राजनीतिक अखाड़े बंद कर रहे है हाशिम। इसलिए उनको हर कीमत पर धमकी दो और रास्ते से हटाने की हर तरकीब करो। हालांकि सुन्नी सेंटर वक्फ बोर्ड ने सुलह समके लिए बातचीत करने के वास्ते किसी को भी अधिकृत न किये जाने की बात दोहराई है, लेकिन अंसारी ने एक बार फिर दावा किया कि उन्होंने सुलह समझौते की पहल वक्फ बोर्ड के कहने पर ही शुरु की थी। 90 वर्षीय अंसारी का कहना है कि अगर यह मामला बातचीत से तय हो सकता है तो इसके प्रयास किये जाने चाहिए। यह मसला आज-कल, महीने -दो महीने में बातचीत के द्वारा तय हो सकता है, आखिरकार हमारे पास तीन महीने का समय है।

मामूली पैरोकार कहकर बेइज्जती की
हाशिम अंसारी सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता जफरयाब जिलानी के हाल में दिये गये उस बयान से बहुत आहत है, जिसमें जिलानी ने अंसारी को मामूली पैरोकार कहा है। अंसारी का मानना है कि पैरोकार का मतलब केवल बस्ता उठाने वाला और पुकार सुनने वाला से है, मामूली पैरोकार कहकर जिलानी ने उनकी बेइज्जती की है। उन्होंने ने कहा कि वह इस आग को बुझना चाहते है और जिलानी उनकी राह में रोड़ा नहीं बन सकते। अगर जिलानी इस बात के लिए माफी नहीं मागते तो मैं पैरवी छोड़ दूंगा। अंसारी ने आरोप लगाया कि उन्हें चुप करने के लिए लोग उन्हें मारने की साजिश कर रहे है, उन्होंने यह भी कहा कि हम हर कीमत पर भाईचारा कायम रखेंगे, हम सबसे हाथ जोड़कर प्रार्थना करेंगे भाई लड़ो नहीं इससे मुल्क और कौम का नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि लोग जानते है कि इस मुकदमे में वह कितनी ईमानदारी से पिछले 60 सालों से संघर्ष करते आये हैं और उन्होंने लोगों और मीडिया से भी गुहार की है वे लोग उनका समर्थन करें।

Geen opmerkingen:

Een reactie posten