maandag 4 oktober 2010

मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सौंपे अधिग्रहीत भूमि


लखनऊ [जाब्यू]। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर के लिए केंद्र से कुल अधिग्रहीत 67 एकड़ भूमि सौंपने की मांग की है। सिंह ने इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि भूमि का विभाजन करने से झगडे़ की जड़ बनी रहेगी। यही नहीं भूमि के बंटवारे से भव्य व ऐतिहासिक राम मंदिर का निर्माण भी नहीं हो सकेगा।

उन्होंने आशंका जताई कि अयोध्या मसले पर कोर्ट के फैसले के बाद व्याप्त खामोशी के पीछे गंभीर साजिश है। सरकारें इस शांति से गफलत में न रहें। सरकार अयोध्या में रामलला की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रखे।

जनक्रांति पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक व सांसद कल्याण सिंह ने रविवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि अयोध्या में रामजन्म भूमि पर रामलला विराजमान का स्वामित्व है। अब वहां पर विश्वस्तरीय तीर्थस्थल के मद्देनजर भव्य व ऐतिहासिक राम मंदिर बनाने के संबंध में उन्होंने रविवार को ही प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को पत्र लिखा है, जिसमें प्रधानमंत्री से मांग की गई है कि मंदिर निर्माण के लिए रामजन्म भूमि स्थल से सटी गैर विवादित कुल अधिग्रहीत 67 एकड़ भूमि सौंप दी जाये।

इस भूमि का विभाजन कतई उचित न होगा, क्योंकि यदि ऐसा होगा तो हमेशा के लिए झगड़े की जड़ बनी रहेगी, जो किसी के हित में नहीं रहेगा। इतना ही नहीं विवादित भूमि के संबंध में कोर्ट के फैसले से तीन हिस्से होने पर मात्र 500 वर्ग गज भूमि रह जाएगी, जिस पर भव्य मंदिर नहीं बनाया जा सकेगा। इस संबंध में आम सहमति बनाने के लिए वह सभी दलों के सांसदों से बात करेंगे। इसके लिए वह दिल्ली जा रहे हैं।

एक सवाल पर सिंह ने कहा कि कांग्रेस मंदिर निर्माण के आंदोलन में आगे आये, जिससे वह अपने पापों को धुल सकती है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पाखंड ने पहले ही आंदोलन को बहुत नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में अब आंदोलन से दूर रह कर भाजपा भी कुछ हद तक अपने पाप कम कर सकती है।

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